Tuesday, May 11, 2010

DO HAATH

शुक्रिया, आपने हमें समझने की कोशिश की और हमारी इस छोटी सी कोशिश में हमारे साथ आगे आए। हमें उम्मीद है कि ये सफर ऐसे ही चलता रहेगा और ये कारवां और आगे बढ़ेगा। फिर एक दिन ऐसा भी जरुर आएगा जब हम अपनीकोशिशों के जरिए सारी कुदरत को अपना आशियां बना सकेंगे। आपको जानकर खुशी होगी कि हमने अपने इस प्रयास में एक कदम आगे बढ़ाने की पहल भी कर दी है। हम कामयाब हों इसके लिए उम्मीद करते हैं आप सबकी दुआएं हमारे साथ होंगी। हम तो प्रकृति को बचाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ चुके हैं...अब बारी आपकी है, आप भी आगे आइये कुछ सही एक पेड़ ही लगाइये। ये हमें और हमारी धरती को लगातार दूषित कर रहे पर्यावरण रुपी राक्षस से बचाएगा। हम कोशिश कर सकते हैं प्रकृति के दुश्मनों से प्रकृति को बचाने की, लेकिन जहां पेड़ों की कटाई की वजह से पर्यावरण इतना प्रदूषित हो चुका है...तो पूरी तरह सही एक-एक पेड़ लगाकर प्रदूषित हो रही प्रकृति को बचा तो सकते हैं। हम अपने घर को साफ रखने के लिए घर की गंदगी को उसी कुदरत के हवाले कर देते हैं...जिससे हमारे घर-आंगन को रोशनी मिलती है। हम गंदा कर रहे हैं अपने उस आशियाने को जिसने अगर कड़ी धूप में जलाकर हमें जिंदगी जीने के सही मायने सिखाए हैं...तो वहीं पानी की बरसात कर ठंडक भी पहुंचायी है। गंदा हम सभी कर रहे हैं और दोष देते हैं अपने साथ वालों को...प्रदूषण हमारी गाड़ी भी फैलाती है पर धुआं नजर आता है दूसरे की गाड़ी का...करना कुछ नहीं बस सरकार और दूसरों को दोष देने के बजाय, दो कदम चलकर कूड़ेदान तक ही तो जाना है,गाड़ी की सर्विसिंग ही तो करानी है। वो कहते हैं दो हाथ हजारों को मार नहीं सकते पर दो हाथ हजारों को नमन तो कर सकते हैं...ऐसे ही दो हाथ सब कुछ सही नहीं कर सकते पर दो हाथ एक पेड़ तो लगा सकते हैं...

No comments:

Post a Comment