Saturday, May 8, 2010

"प्रकृति माँ" तुझे सत-सत नमन

र्मी का मौसम किसे अच्छा लगता है...शायद किसी को नहीं खासकर बच्चों को तो बिल्कुल नहीं। फिर भी खेलना तो है ही नटखट मन मानने वाला कहां है...गर्मी पसंद हो या हो किसी के रोके कहां रुकने वाला है ये। और ये चंचल मन रुके भी क्यों, चिलचिलाती गर्मी और थका देने वाली गर्म हवा का सामना करने के लिए हमारी मां जो हमारे साथ हैं। शरीर जलाने वाली गर्म हवा का हम पर कोई असर नहीं होता...खेतों में हल चलाने वाला किसान हो या सामान ढोता मज़दूर...पूरे दिन काम करने के बाद भी अगर स्वस्थ हैं तो ठण्डक देने वाली अपनी प्रकृति मां की गोद में...जिसके आंचल में समायी ममता के साए ने हमको महफूज़ रखा है। गर्मी ही क्या कोई भी मौसम हो मां की छांव में वो आराम है, जो कभी अपनी भूखी औलाद का पेट भरती है तो कभी थक जाने पर सुकून भरी नींद देती है। आखिर मां होती ही अनमोल है। फिर वो चाहे हमें दुनिया देखने का सौभाग्य देने वाली मां हो या फिर वो हमारे आशियाने की तरह, या फिर हमें स्वस्थ रखने वाली, कई रोगों से बचा, कई मायनों में हमारे परिवार के चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरने वाली प्रकृति मां हो। मां तो बस मां है, आज पूरी दुनिया में मदर्स डे मनाया जा रहा है। बच्चे से लेकर बड़े अपनी मां का आज के दिन शुक्रिया करना नहीं भूलते क्योंकि मां वो है जिसने हमें अच्छाई और बुराई में फर्क करना सिखाया, भलाई के रास्ते पर चलना सिखाया, वो हर रात तब तक जागी जब तक नींद हमारी आंखों को छू गयी, उसने पहले हमें खिलाया फिर खुद खाया। हम चाहें भी तो मां के ऋणों से नहीं उभर सकते। फिर हम धरती पर भगवान का रुप मां की इस सीख को कैसे नजरअंदाज कर जाते हैं कि हमारी एक और मां है, प्रकृति मां जिसने भले ही हमें जन्म दिया हो, लेकिन धरती को इतना खूबसूरत बनाया है कि इसे ही देखने के लिए हम अपनी जन्म देने वाली मां के आभारी हैं...तो फिर आज के दिन हम उसे कैसे भूल सकते हैं। शुक्रिया करिए अपनी मां का और शुक्रिया करिए उस मां का जिसने आजतक हमें सिर्फ दिया है, मांगा कुछ नहीं और इसी वजह से हम आज उसके लिए कुछ करना ही भूल गए हैं। मदर्स डे मनाइए। अपनी मां के साथ प्रकृति मां के साथ...और एक संकल्प के साथ आगे बढ़िये...खत्म होने देंगे हम इस कुदरत के अस्तित्व को साथ देंगे बचाने के लिए ममता की इस छांव को...
HAPPY MOTHER’S DAY…….

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